देहरादून राजनीति के माहिर हरीश रावत अपने एक सोशल मीडिया पोस्ट पर शायद ही कभी इतनी तीखी प्रतिक्रियाओं से दो चार हुए होंगे।आपदा में अवसर हरीश रावत ने ढूंढा लेकिन कठिन सवालों का जवाब नही दे पाए।मामला बेहद दिलचस्प और उत्तराखंड राज्य में सभी की जुबान पर है। पुलिस महकमे के जवानों के ग्रेड पे हुए संशोधन और इससे जवानों को होने वाले आर्थिक नुकसान का मामला सुर्खियों में है। हर राजनीतिक दल इसे मुद्दा बनाकर सरकार को घेर रहा है। लेकिन सवाल सबसे ज्यादा हरीश रावत से पूछे आ रहे जानिए पूरी खबर
नियम साफ है और कई महकमों में पहले से लागू है कि सेवा अवधि के कार्यकाल के प्रमोशन अथवा प्रमोशन अवधि जैसी तनख्वाह मिलनी चाहिए। पुलिस जवानों के ग्रेड पे सेवा काल के आधार पर निर्धारित है। पूर्व में 10 वर्ष,16 वर्ष ,26वर्ष या इससे अधिक की सेवा पर ग्रेड पे निर्धारित था। जो कि 2400,4600,4800 था।लेकिन वर्ष 2016 में राष्ट्रपति शासन हटने के बाद मुख्यमंत्री रहते हुए हरीश रावत के शासन काल मे ही सेवा अवधि को बढ़ाकर 10,20,30 करते हुए फ़ाइल को मंजूरी दी गई थी। उस समय वेतन विसंगति आयोग भी बैठा था जहां कर्मचारियों द्वारा अपनी समस्या बताई जा रही थी। अब हरीश रावत राज में किये गए परिवर्तन का असर दिखने लगा है लेकिन हरीश रावत का अपना ही अंदाज़े बया सोशल मीडिया में सरकार को घेरने का है जहां लोगो ने उल्टा उन्हें घेर लिया। प्रमोशन नही मिलने पर ग्रेड पे में भी कटौती से राज्य के करीब 4 हज़ार कॉन्स्टेबल व हेड कॉन्स्टेबल इससे सीधे सीधे प्रभावित हो रहे है। हालांकि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने मामले की गम्भीरता को देखते हुए कमेटी बनाकर मामले में जल्द से जल्द रिपोर्ट देने को कहा है।आपको बताते चले कि उत्तराखंड राज्य में पुलिस कर्मी पूर्व में काली पट्टी पहनकर भी आक्रोश व्यक्त कर चुके है। 20 साल की सेवा के बाद सब इंस्पेक्टर का मिलने वाला वेतनमान अब एएसआई स्तर का हो गया है जिसका राज्य पुलिस में कोई पद नही है ये संशोधन हलांकि केंद्र स्तर पर आया है लेकिन जानकारों की माने तो उस राज्य सरकार से गई संस्तुतियों के आधार पर ही ये फैसला हुआ है। उम्मीद है कि हरीश रावत जैसे वरिष्ट नेता सोशल मीडिया में कठिन सवालों के जवाब भी देगे क्या।