देहरादून उत्तराखंड में नई आबकारी नीति पर मंथन शुरु हो गया है राज्य सरकार के राजस्व में आबकारी का अहम योगदान है। आबकारी से प्राप्त होने वाले राजस्व को 3600 करोड रूपये से बढ़ाकर 4200 करोड रूपये करने पर विचार के साथ साथ नई आबकारी नीति में और क्या बेहतर प्रयोग किये जाए इस पर शासन स्तर पर मंथन शुरु हो गया है। पडोसी राज्यों की तुलना में राज्य में शराब की कीमतों को कैसे कम या समकक्ष किया जाए इसके साथ साथ अधिकतर ब्रांड उपलब्ध होने के साथ साथ ठेकों की दशा दिशा बेहतर करने पर भी शासन स्तर पर मंथन चल रहा है। मौजूदा वित्तीय वर्ष में आबकारी महकमा करीब 200 करो़ड रूपये अपने तय राजस्व से पीछे चल रहा है। जानकारों की मानें तो विदेश आयतित मदिरा के थोक विक्रेताओं के लिये नियम और सख्त किये जाने पर भी विचार चल रहा है इसमें एक अहम बिंदु इस प्रकार से भी सामने आया है कि जिन्होने कस्टम बांडेड वेयर हाउस भी कहते है वो शराब बिक्री में मनमानी कर रहे है और जिला आबकारी अधिकारियों का इन पर नियंत्रण नही है। इससे राजस्व का नुकसान होने के साथ साथ मॉनिटरिंग भी प्रभावित हो रही है। चर्चायें इस प्रकार है कि इस वर्ष शराब ठेकों के लिये लॉटरी की व्यवस्था पर भी विचार किया जा रहा है।