देहरादून पुलिस ऑफिसर्स कॉन्फ्रेंस में डीजीपी अशोक कुमार ने कई यहम निर्णय लिए है। इसी क्रम में एक अहम निर्णय ये भी लिया गया है कि सोशल मीडिया के जरिये समाज मे आक्रोश या राष्ट्रविरोध में की गई टिप्पड़ी पर गन लाइसेंस या पासपोर्ट आवेदन में संज्ञान लिया जा सकता है ।भविष्य में आवेदन निरस्त भी हो सकता है इस पर अलग अलग तरह की टिप्पणी आ रही है जबकि एक बहुत बड़ावर्ग डीजीपी के इस फैसले के समर्थन में आ कर ट्वीट भी कर रहा है इस पर डीजीपी ने पोस्ट जारी कर स्थिति साफ की है।
डीजीपी की पोस्ट
सोशल मीडिया पर देश की संप्रभुता और अखंडता के विरूद्ध पोस्ट करने वालों को पुलिस वेरिफिकेशन में क्लीन चिट नहीं देने पर विचार करने सम्बन्धी दिये गये मेरे बयान को कतिपय लोगों द्वारा बेवजह ही तूल दिया जा रहा है। मैं आप सभी को यह स्पष्ट करना चाहता हूँ कि पासपोर्ट वेरिफिकेशन के लिए बने प्रावधानों में इसका उल्लेख पहले से ही है। मैंने केवल उनका अनुपालन कराना सुनिश्चित किया है। पासपोर्ट वेरिफिकेशन फार्म के पार्ट बी के बिन्दु न. 6 से यह स्पष्ट है।
और ये भी स्पष्ट करना चाहूँगा कि freedom of expression unlimited नहीं है । अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर कोई देश की अखंडता और सम्प्रभुता के खिलाफ नहीं बोल सकता..