स्वास्थ्य सचिव से मिले कांग्रेसी सौंपा ज्ञापन

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शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में डेंगू से बचाव के लिए चलाया जाये स्वच्छता जागरूकता अभियान
देहरादून। महानगर कांग्रेस कमेटी के पूर्व महानगर अध्यक्ष लालचन्द शर्मा के नेतृत्व में महानगर कांग्रेस नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने स्वास्थ्य सचिव डाक्टर आर राजेश कुमार से मुलाकात कर उन्हें सुझाव पत्र सौंपते हुए राजकीय चिकित्सालयों की सुविधायें बढ़ाये जाने एवं मरीजों के हित में आवश्यक निर्णय लिये जाने की मांग की।
इस अवसर पर स्वास्थ्य सचिव को सौंपे सुझाव पत्र में पूर्व महानगर अध्यक्ष लालचन्द शर्मा ने कहा कि मरीजों को सरकारी अस्पतालों में मिलने वाली सुविधाओं की ओर आकर्षित कराते हुए मरीजों को इन सुविधाओं का समुचित लाभ दिए जाने और सम्बन्धित प्रक्रियाओं को सरल कराए जाने का अनुरोध किया हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में शामिल राजधानी के ही दून मेडिकल अस्पताल के अलावा जिला चिकित्सालय कोरोनेशन में भी बेड की भारी कमी है।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इन अस्पतालों में ऑपरेशन के लिए मरीजों को दो-दो महीने की वेटिंग मिलती है। उनका कहना है कि कभी सर्जन तो कभी बेहोशी के डॉक्टर नहीं रहते। उन्होंने सुझाव पत्र में कहा है कि कई बार मरीज की ऑपरेशन के लिए लंबे इंतजार के बाद बारी आने पर सभी जरूरी मेडिकल जांचें करा दी जाती हैं, लेकिन अंतिम समय में डॉक्टर या अन्य स्टाफ अथवा ज्यादा मरीज होने का कोई न कोई कारण बताकर मरीज को ऑपरेशन के लिए मना कर दिया जाता है और जिससे मरीज और परिजन मायूस हो जाते हैं।
उन्होंने कहा कि खासकर गरीब मरीजों को इससे दोहरी पीड़ा झेलनी पड़ती है। उनका कहना है कि इन अस्पतालों में उत्तराखंड के सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों के अलावा हरिद्वार, कोटद्वार के साथ ही उत्तर प्रदेश व हिमाचल प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों से भी मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं और ऐसे में यहां भी समुचित इलाज के लिए भटकने से मरीज और उनके तीमारदारों को बहुत मुसीबत झेलनी पड़ती है।
इस अवसर पर समाजसेवी व पूर्व महानगर अध्यख लालचन्द शर्मा ने यह भी कहा कि इसी तरह, खासकर दून अस्पताल और कोरोनेशन अस्पताल में पंजीकरण काउंटर, बिलिंग काउंटर, दवा काउंटर और पैथोलॉजी व रेडियोलॉजी जांच में स्टाफ की कमी से मरीजों को खासकर बुजुर्ग मरीजों, गंभीर बीमारी से पीडित मरीजों और गर्भवती महिलाओं को लंबी लाइन में लगकर बड़ी पीड़ा झेलनी पड़ती है।
उनका कहना है कि दून मेडिकल अस्पताल और जिला कोरोनेशन समेत अन्य सरकारी अस्पतालों में रेडियोलॉजिस्ट की अत्यधिक कमी है। जिससे अल्ट्रासाउंड के लिए ही मरीजों को दो-दो महीने तक इंतजार करना पड़ता है और या मजबूरी में निजी डायग्नोस्टिक सेंटर जाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में रेडियोलॉजिस्ट की कमी को दूर किया जाए।
उन्होंने कहा कि मरीजों के हित में कोरोना महामारी की प्रचंड लहर में जहां बड़े सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किए गए थे, वहीं, सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक में ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचाए गए थे। यह व्यवस्था फिर से सुचारु की जाए, ताकि दूरस्थ और पर्वतीय क्षेत्रों में मरीजों को आकस्मिक स्थिति में भटकना न पड़े। इसी तरह सरकारी मेडिकल और जिला व उप जिला अस्पतालों में आईसीयू बेड भी उस वक्त बड़ी संख्या में बढ़ाए गए थे।
उन्होंने कहा कि इसके बावजूद मरीजों और तीमारदारों को राजधानी देहरादून तक में भी आईसीयू बेड के लिए धक्के खाने पड़ते हैं और इन दोनों बिंदुओं पर गहन जांच कर व्यवस्था को सही किया जाए। इस अवसर पर राजपुर विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा कि राजकीय दून मेडिकल अस्पताल, जिला अस्पताल कोरोनेशन तक में जहां कि मनोचिकित्सक तो हैं, लेकिन अस्पताल में मानसिक रोग से पीड़ित मरीजों को निःशुल्क दवाएं नहीं मिलती है।
उन्होंने कहा कि यह दवाएं निजी केमिस्ट में बहुत महंगी मिलती है और जिससे कई असमर्थ मरीजों का उपचार नहीं हो पाता है। तो कई मरीज महंगी दवाएं ज्यादा बार नहीं ले पाते हैं। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों से बातचीत में पता लगा है कि मानसिक रोगियों द्वारा एक बार बीच इलाज में दवा छोड़ने पर दोबारा इलाज और फिर दवा का कोर्स शुरू से देना पड़ता है और जिससे एक तो मरीज का मर्ज बिगड़ने का डर रहता है।
उन्होंने कहा कि दूसरा मरीज अथवा परिजनों पर अनावश्यक बोझ पड़ता है और ऐसे में जिन मरीजों के पास इलाज का खर्च नहीं होता उनमें से कई नशे की तरफ जाने लगते हैं। पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा कि नशे के आदी होने पर जागरूकता के अभाव में परिजन मरीज को नशा छुड़ाने की उम्मीद में नशा मुक्ति केंद्रों में भर्ती कर देते हैं और जिनमें से बिना मनोचिकित्सक, फिजिशियन के चल रहे कई नशा मुक्ति केंद्र संचालक मोटी रकम वसूलते और नशा छुड़ाने के नाम पर मरीजों का उत्पीड़न होता है।
उन्होंने कहा कि ऐसी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिनमें इन नशा मुक्ति केंद्रों में युवतियों से दुष्कर्म और मरीजों की उत्पीड़न से मौत हो चुकी है। उन्होंने कहा कि नकली दवाईयों पर रोक लगाने के साथ ही साथ नकली दवाईयों की फैक्ट्री को तत्काल प्रभाव से बंद किया जाना चाहिए, जिससे लोगों के जीवन से होने वाले खिलवाड़ से बचाया जा सके और उन्होंने कहा कि इसी प्रकार से प्रेमनगर स्थित संयुक्त चिकित्सालय में चिकित्सकों के साथ ही साथ नर्सिंग स्टाफ की कमी है और इस समस्या को दूर किये जाने की आवश्यकता है और यहां पर पर्याप्त स्टाफ की नियुक्ति की जाये।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कम से कम प्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल अस्पतालों, जिला अस्पतालों और उप जिला अस्पतालों में मनोचिकित्सक तैनात किए जाएं और इन अस्पतालों में मनो रोगियों को निःशुल्क दवा की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि ऐसे में कई परिजन और मरीज अवैध तरीके से चल रहे तमाम नशा मुक्ति केंद्रों के चंगुल में फंसने से बच जाएंगे।
इस अवसर पर पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में इमरजेंसी में खासकर रात को मरीजों के इलाज और जरूरी होने पर उन्हें भर्ती करने की व्यवस्था को सुविधाजनक बनाने के लिए संबंधित मातहत अधिकारियों को निर्देशित किया जाये और आयुष्मान के तहत निजी और सरकारी सभी अस्पतालों में मरीजों को मिलने वाली उपचार की सुविधा को सरल किया जाए और मरीज के भर्ती होने के समय से ही इलाज, जांचों व दवाओं का बिल आयुष्मान योजना में कवर कराया जाए और जिससे खासकर गरीब मरीजों को मुसीबत न हो।
उन्होंने कहा कि देहरादून में ट्रैफिक जाम लगे होने से कई बार गंभीर मरीजों को लाने ले जाने वाली एम्बुलेंस फंस जाती है, कतिपय वाहन चालक एम्बुलेंस को रास्ता नहीं देते हैं, जिससे अस्पताल पहुंचने में देरी होने के कारण मरीजों की जान खतरे में पड़ जाती है और पुलिस के अधिकारियों से इस संबंध में समन्वय कर आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिये जाये। इस अवसर पर उन्होंने सुझावों पर जनहित में जल्द सकारात्मक निर्णय लिया जाये। इस अवसर पर सुझाव पत्र में कहा गया कि शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में डेंगू से बचाव के लिए स्वच्छता जागरूकता अभियान चलाया जाना आवश्यक है और विशेषकर सरकारी विद्यालयों, आंगनवाड़ी केंद्रों, झुग्गी-झोपड़ियों एवं भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में नियमित फॉगिंग, पानी की निकासी, व पोस्टर-बैनर के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए।
इस दौरान सुझाव पत्र में कहा गया कि सरकारी स्कूलों में स्वास्थ्य एवं पोषण कार्यक्रम किये जाये और झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाली महिलाओं व किशोरियों के लिए स्वच्छता कार्यक्रम चलाने, विद्यालय जाने वाले किशोरों के लिए नैदानिक मनोवैज्ञानिक विभाग की स्थापना करने और राजकीय दून मेडिकल कॉलेज में स्वच्छता व्यवस्था में सुधार किये जाने तथा सीएमओ कार्यालय से दवा आपूर्ति में बाधा को दूर किये जाने की मांग की गई।
इस अवसर पर सुझाव पत्र में कहा गया कि दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लिफ्ट की समस्यारू ओपीडी तक जाने के लिए एकमात्र लिफ्ट सभी मरीजों के लिए अपर्याप्त है। बुजुर्ग व विकलांग मरीजों को विशेष कठिनाई होती है। अतः अतिरिक्त लिफ्टों की व्यवस्था की जानी चाहिए। कोरोनेशन अस्पताल की ओपीडी खिड़की पर मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है। रजिस्ट्रेशन काउंटरों की संख्या बढ़ाकर भीड़ का बोझ कम किया जाए। इस अवसर पर कोरोनेशन अस्पताल में दवा आपूर्ति की समस्या को दूसरे हरने और अस्पताल में आवश्यक दवाएं नियमित रूप से उपलब्ध नहीं हैं, जिससे गरीब मरीजों को दिक्कत होती है। इस दौरान सुझाव पत्र में कहा गया कि गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय में लेंस की अनुपलब्धता है और इस समस्या का समाधान किया जाये।
इस अवसर पर सुझाव पत्र में कहा गया कि शहरी स्वास्थ्य विभाग में समस्याए है और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को समय पर वेतन नहीं दिया जाता, जिससे उनके मनोबल में गिरावट आ रही है और वहीं नकली दवाईयों के खिलाफ कार्यवाही की जाये। इस अवसर पर स्वास्थ्य सचिव डाक्टर आर राजेश कुमार ने शीघ्र ही समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया। इस अवसर पर पूर्व विधायक राजकुमार, पूर्व महानगर अध्यक्ष लालचन्द शर्मा, प्रदेश महामंत्री राजीव पुंज, प्रवक्ता दीप बोहरा, पार्षद अर्जुन सोनकर आदि मौजूद रहे।