चमोली आपदा- जून में दोबारा शुरू हुआ ऋषिगंगा हाईड्रो प्रोजेक्ट पूरी तरह हुआ तबाह, इससे जुड़े कई लोग लापता

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उत्तराखंड के चमोली जिले के रैनी में रविवार सुबह ग्लेशियर फटने से आई आपदा में ऋषि गंगा और तपोवन हाईड्रो प्रोजेक्ट पूरी तरह ध्वस्त हो गया है। प्रोजेक्ट जून में ही शुरू हुआ था। परियोजना अधिकारियों की मानें तो प्रोजेक्ट पर काम करने वाले करीब 50 लोग लापता हैं। 
जानकारी के अनुसार, ऋषिगंगा हाईड्रो प्रोजेक्ट(13.2 मेगावाट) 2011 में शुरू हुआ था। इसके बाद साल 2016 में इसके क्षतिग्रस्त होने पर इसमें बिजली उत्पादन बंद हो गया था। इसके बाद एनसीएलटी के माध्यम से कुंदन ग्रुप ने इसके संचालन का जिम्मा लिया। इसके बाद जून 2020 में इसे दोबारा शुरू किया गया था। 

सेनानायक एसडीआरफ नवनीत सिंह घटना स्थल पर


नीती घाटी का रैनी गांव धोली गंगा औैर ऋषि गंगा का संगम स्थल है। ऋषि गंगा पर 13 मेगावाट की जल विद्युत परियोजना और तपोवन में 500 मेगावाट की निर्माणाधीन तपोवन-विष्णुगाड़ जल विद्युत परियोजना है। ग्लेशियर टूटने से ऋषि गंगा का जल स्तर बढ़ गया, जिससे ऋषि गंगा जल विद्युत परियोजना पूरी तरह से तबाह हो गई। जबकि तपोवन विष्णुगाड़ परियोजना को भी भारी नुकसान पहुंचा है। 
तपोवन-विष्णुगाड़ परियोजना का इन दिनों टनल निर्माण कार्य जोरों पर चल रहा था। रविवार को भी टनल निर्माण कार्य में सैकड़ों मजदूर जुटे हुए थे। इस टनल में भी नदी का पानी और मलबा घुस गया है, जिससे भारी मात्रा में मजदूरों के फंसने की आशंका जताई जा रही है। 

चमोली से लौटने के बाद समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत


वहीं मुख्य सचिव ने 100 से 150 लोगों के लापता होने की आशंका जताई है। श्रीनगर में प्रशासन ने नदी किनारे बस्तियों में रह रहे लोगों से सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की है। जोशीमठ, पीपलकोटी, चमोली, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग के साथ ही रुद्रप्रयाग क्षेत्र में पुलिस ने लाउडस्पीकर से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर चल जाने के लिए कहा।
वहीं, नदी में काम कर रहे मजदूरों को भी हटाया जा रहा है। उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने कहा, तपोवन बांध में फंसे 16 लोगों को पुलिस ने सुरक्षित स्थानों पर भेजा है। आईटीबीपी के प्रवक्ता के अनुसार, अब तक तीन शव मिले हैं।