प्रस्तुत पुस्तक ‘द एटर्नल लॉर्डः ग्रेट शिव टेम्पल्स ऑफ़ उत्तराखण्ड’ का शीर्षक भगवान शिव से महानतम स्वरूप – सदाशिव – से प्रेरित है. भारत की प्राचीन धार्मिक व पौराणिक परम्पराओं में भगवान शिव के इस दैदीप्यमान रूप को सर्वशक्तिमान प्रकृति नियंता बताया गया है.
यह पुस्तक भारतीय परम्परा में भगवान शिव के आध्यात्मिक, धार्मिक, सामाजिक व ऐतिहासिक आयामों से तो परिचित कराती ही है, उत्तराखण्ड के ऐतिहासिक तथा सामाजिक परिप्रेक्ष्य में उनकी उल्लेखनीय उपस्थिति पर महत्वपूर्ण जानकारियाँ भी उपलब्ध कराती है.
पुस्तक का सबसे महत्वपूर्ण अंश उत्तराखण्ड के कुमाऊँ और गढ़वाल क्षेत्रों में अवस्थित सबसे महत्वपूर्ण शिव-मंदिरों का विस्तृत वर्णन है. पुस्तक के इस खंड में पञ्च-केदार धाम से लेकर जागेश्वर तथा बैजनाथ जैसे अनेक पुरातन शिव-मंदिरों से सम्बंधित मिथकीय व लोक-आधारित आयामों को विस्तार में स्थान दिया गया है. ऐसे अनेक लोकप्रिय मंदिरों के अतिरिक्त कुमाऊँ और गढ़वाल के सुदूर क्षेत्रों में स्थित अनेक ऐसे शिव-मंदिरों के विषय में भी अनूठी जानकारियाँ उपलब्ध कराई गई हैं, विविध जिनके बारे में सामान्य जन की जानकारी बहुत अधिक नहीं रही है.
‘द एटर्नल लॉर्ड: ग्रेट शिव टेम्पल्स ऑफ़ उत्तराखण्ड’ में उत्तराखण्ड के इन पुरातन शिव मंदिरों में दृष्टिगोचर होने वाली विविध वास्तुशिल्पीय विशेषताओं तथा शैलियों के विषय में भी आकर्षक तथ्य जुटाए गए हैं. इन शिव-मंदिरों की विभिन्न शैलीगत घटकों और प्रवृत्तियों के कलात्मक तथा ऐतिहासिक आयामों का परिचय भी दिया गया है.
उत्तराखंड के भिन्न-भिन्न हिस्सों में इतिहास के भिन्न-भिन्न कालखंडों में निर्मित शिव-मंदिरों में भगवान शिव तथा उनके परिजनों और उनसे संबंद्ध अन्य देवी-देवताओं की अनेक आकर्षक व कलात्मक प्रतिमाएं प्राप्त हुई हैं. इसके अतिरिक्त इन मंदिरों में अलग-अलग आकारों व शैलियों वाले असंख्य शिवलिंग भी है. इस पुस्तक में इन प्रतिमाओं और शिवलिंगों के बारे में भी परिष्कृत व सर्वांगीण सूचनाएं उपलब्ध कराई गई हैं.
देश-विदेश के अनेक विद्वानों द्वारा रचित ग्रंथों के प्रासंगिक सन्दर्भों तथा देश के चुनिन्दा श्रेष्ठ फोटोग्राफरों के खींचे चित्रों से सुसज्जित इस पुस्तक के भीतर उत्तराखण्ड में भगवान शिव की उपस्थिति को बहुत हृदयग्राही ढंग से अंकित किया गया है.