निकाय चुनाव के लिए भाजपा ने नियुक्त किये पर्यवेक्षक
देहरादून। भाजपा ने निकाय चुनाव के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिये हैं। पार्टी की ओर से इसकी सूची जारी कर दी गयी है।
प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतों मे संगठन की ओर से वरिष्ठ नेताओं को पर्यवेक्षकों की जिम्मेदारी तय कर दी गयी है।
प्रेस विज्ञप्ति
निकायों मे घोषित अनंतिम आरक्षण विधि सम्मत, चुनावों से डर रही है कांग्रेस: चमोली
प्रवर समिति की क्लीन चिट के बाद अध्यादेश और विधिक प्रक्रिया का हुआ पालन
देहरादून 14 दिसम्बर। भाजपा ने निकाय चुनावों के लिए घोषित अनंतिम आरक्षण को विधिसंम्मत बताते हुए इसे लेकर कांग्रेस के आरोपों को जानकारी का अभाव तथा चुनाव को लेकर डर बताया।
पार्टी के वरिष्ठ विधायक और प्रवर समिति सदस्य रहे श्री विनोद चमोली ने पत्रकारों से वार्ता के दौरान कहा कि सभी वर्गों को पूर्वनिर्धारित नीति के तहत अधिकार दिया गया है। लेकिन कल तक चुनाव में देरी का रोना रोने वाली कांग्रेस अब हार सामने देखकर चुनाव टालने के लिए बहाने तलाश रही है।
चमोली ने कहा, निकायों में आरक्षण को लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा जिस तरह के बयान दे रहे हैं, वह पूरी तरह एक राष्ट्रीय पार्टी के नेता और सदन में उपनेता रहे व्यक्ति की जानकारी के अभाव को दर्शाता है। उन्हें मालूम होना चाहिए कि प्रत्येक संस्था के लिए आरक्षण निर्धारित होता है। कोई भी सरकार न इसे स्वयं घटा सकती है और न ही बढ़ा सकती है। जबकि नगर निगमों में एससी वर्ग को 9 फीसदी आरक्षण है और इसी तरह से 14 फीसदी नगर पालिका और 13 फीसदी नगर पंचायत में निश्चित है। उसके आधार पर ही सरकार ने आरक्षण निर्धारित किया है। अब चूंकि निगमों की संख्या कम है लिहाजा महापौर सीटों पर एसटी समाज को आरक्षण देना संभव नहीं है और ऐसा पहले से होता आया है। इसी तरह सुप्रीम कोर्ट की संस्तुति से बने ओबीसी आयोग की रिपोर्ट के आधार पर ही ओबीसी वर्ग को प्रतिनिधित्व दिया गया है। जिसके तहत नगर निगम में 18 फीसदी, नगरपालिका में 27.9 फीसदी और नगर पंचायत में 34.8 फीसदी सीटें पिछड़े समाज को दी गई हैं। वहीं डेमोग्राफी के आधार पर ही नगरपालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष में एसटी वर्ग को 1-1 सीट दी गई हैं। वहीं महिलाओं का 33% आरक्षण निगमों, पालिका और नगर पंचायतों में सुनिश्चित किया गया है।
निकायों में आरक्षण का सिलसिलेवार जानकारी देते हुए उन्होंने बताया, 11 नगर निगम में से 2 स्थान पर ओबीसी वर्ग को 1 महिला प्रत्याशी के रूप में आरक्षण दिया गया है, वहीं 1 एससी और 1 ओबीसी को मिलाकर कुल 4 जगह महिलाओं को प्रतिनिधित्व दिया गया है। इसी तरह कुल 43 नगरपालिका में ओबीसी को 12, एससी को 6 और एसटी को 1 समेत 14 महिलाओं को हम अध्यक्ष के रूप में देखने वाले हैं। वहीं 46 नगर पंचायत में 16 ओबीसी, 6 एससी, 1 एसटी समेत कुल 16 सीटों पर महिलाओं को मौका दिया गया है।
उन्होंने कहा कि जिस विधानसभा प्रवर समिति के निर्णय को लेकर कांग्रेसी झूठ फैला रहे हैं, वह उस समिति के सदस्य हैं। राज्य में हुए डेमोग्राफी बदलाव के दृष्टिगत निकायों में ओबीसी आरक्षण को लेकर विधानसभा में कुछ प्रश्न आये थे। चर्चा की बाद ही प्रवर समिति बनाई गई थी प्रवर समिति ने अपनी तीन बैठकों में गहन विचार विमर्श के बाद 2011 की जनगणना के आधार पर ओबीसी आरक्षण को स्वीकृति प्रदान की। जिसके बाद सरकार ने पूरी संवैधानिक प्रक्रिया के तहत कार्यवाही आगे बढ़ते हुए आरक्षण को निर्धारित किया है। जहां तक उनका कहना है कि प्रवर समिति की सिफारिश नहीं आई है तो उन्हें जानकारी होनी चाहिए कि आरक्षण के संबंध में समिति ने पहले ही चुनाव को लेकर क्लीन चिट दे दिया था। उनकी सिफारिश पर ही आगे बढ़ते हुए सरकार अध्यादेश लेकर आई। अब जब सभी वैधानिक प्रक्रिया को अपनाते हुए, निकाय चुनाव संभव होने जा रहे हैं तो कांग्रेस अपने अब तक के रुख से ही पलट गई है।
उन्होंने निशाना साधा कि कल तक कांग्रेस हाय तोबा करती थी कि भाजपा चुनाव को पीछे कर रही है, चुनाव कराना नहीं चाहती है, हार के डर से चुनाव नहीं करना चाहती है। तमाम राजनैतिक झूठे राजनैतिक आरोप कांग्रेस पिछले 6 महीने से लगा रहे थे । वहीं अब तमाम आशंकाएं, भ्रम और अफवाह भरे सवाल वो निकाय चुनाव प्रक्रिया पर उठा रहे हैं। उन्हें जवाब देना चाहिए कि क्या वह चुनाव नहीं करना चाहते हैं? क्या वह चुनाव को पीछे धकेलना चाहते हैं ? क्या वह कांग्रेस चुनाव से डर गई है ? साथ ही आरोप लगाते हुए कहा कि दअरसल निकाय चुनाव लगभग निश्चित होने के बाद कांग्रेस की हार का डर उनके बयानों में स्पष्ट नजर आने लगा है। उन्होंने माहरा को सलाह देते हुए कहा कि संवेदनशील और गंभीर मसलों कर कुछ भी कहने से पहले उन्हें विषय का अध्ययन और जानकारी को अपडेट करना चाहिए।