जज के खिलाफ मुकदमा हुआ वापस

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देहरादून खासा सुर्खियो में रहे हरिद्वार में नाबालिग बालिका का शारीरिक और मानसिक शोषण करने के मामले में आरोपित न्यायिक अधिकारी के खिलाफ दायर मुकदमे को न्यायालय ने वापस लेने के आदेश दिए हैं। न्यायिक अधिकारी पर लगाए गए आरोपों से शनिवार देर शाम उन्हें न्यायालय ने दोषमुक्त कर दिया।

जनवरी 2018 में न्यायिक निर्देशों के पालन में संयुक्त टीम ने हरिद्वार की तत्कालीन सिविल जज सीनियर डिवीजन दीपाली शर्मा के आवास पर छापा मारा था। न्यायिक अधिकारी के आवास पर एक नाबालिग बालिका मिली थी। जिसके शरीर पर चोट के 20 निशान पाए जाने का दावा अभियोजन पक्ष ने किया था। अभियोजन पक्ष के अभियोजन पक्ष के अनुसार आरोपित न्यायिक अधिकारी ने अप्रैल 2015 से जनवरी 2018 तक नाबालिग बालिका का मानसिक व शारीरिक शोषण लोक सेवक होते हुए किया था। घटना के संबंध में सिडकुल थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। विवेचना अधिकारी ने जांच के बाद 20 अप्रैल 2018 को महिला न्यायिक अधिकारी के खिलाफ आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया था। जिस पर न्यायालय ने 12 जून 2018 को संज्ञान लेते हुए न्यायिक अधिकारी को अदालत में उपस्थित होने के आदेश जारी किए थे। उसके उपरांत 19 अक्टूबर 2019 को अभियोजन पक्ष ने मुकदमा वापस करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था। जिसे न्यायालय ने सुनवाई के बाद मामला जनहित का न पाते हुए खारिज कर दिया था। । मामले की सुनवाई ऊपरी अदालत अपर जिला जज द्वितीय सहदेव सिंह की कोर्ट में शुरू हुई। 5 सितंबर को अपर जिला जज ने न्यायिक अधिकारी दीपाली शर्मा को बड़ी राहत देते हुए राज्य सरकार के उस फैसले पर मुहर लगा दी  जिसमें न्यायिक अधिकारी के खिलाफ मुकदमा वापस लेने का आदेश दिया गया था।