ऋषिकेश: उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड मामले में सरकार और प्रशासन की सख्त कार्यवाही के चलते आज यह केस अपने अंतिम चरण में पहुँच गया है। तीनों आरोपियों को घटना के 24 घंटे के भीतर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था, और तब से वे सलाखों के पीछे हैं।
इस गंभीर अपराध की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया, जिसने गहन जांच कर 500 पन्नों की चार्जशीट अदालत में पेश की। इस चार्जशीट में 100 से अधिक गवाहों के बयान शामिल किए गए हैं। आरोपियों के खिलाफ गैंगस्टर अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज किया गया है, जिससे मामले की गंभीरता और प्रशासन की मंशा साफ़ झलकती है।
उत्तराखंड की धामी सरकार ने पीड़ित परिवार को ₹25 लाख की आर्थिक सहायता प्रदान की है। साथ ही, दिवंगत अंकिता के भाई और पिता को सरकारी नौकरी भी दी गई है, जिससे परिवार को राहत मिली है। परिजनों की मांग पर अब तक तीन बार सरकारी वकील बदले गए ताकि केस की पैरवी मजबूत तरीके से की जा सके।
सरकारी वकील की सख्त दलीलों के चलते आरोपियों की जमानत याचिकाएँ बार-बार खारिज हुई हैं। कोर्ट में अब आरोप तय हो चुके हैं और जल्द ही सजा पर फैसला आने की उम्मीद है।
इस पूरे मामले में VIP संस्कृति को लेकर विपक्ष द्वारा लगातार सवाल उठाए जाते रहे हैं, लेकिन कोर्ट में इस संदर्भ में कोई साक्ष्य या बहस नहीं हुई। कांग्रेस और कुछ तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ताओं पर यह आरोप भी लगे हैं कि वे राजनीतिक लाभ के लिए जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं।
परिवार और समाज को अब न्याय की पूरी उम्मीद है, और यह मामला राज्य में न्याय प्रणाली की दृढ़ता और सरकार की संवेदनशीलता का प्रतीक बनकर सामने आया है।