
टेंडर घोटाले ने मचाई हलचल — उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के अध्यक्ष बॉबी पंवार और उपाध्यक्ष त्रिभुवन चौहान के हस्तक्षेप के बाद रद्द हुआ कृषि मेला
कृषि मेला भ्रष्टाचार में बॉबी पंवार और त्रिभुवन चौहान की सर्जिकल स्ट्राइक, रात भर में गायब करोड़ों का माल
11 जून की रात सोशल मीडिया पर वायरल हुए कृषि विभाग के टेंडर घोटाले ने प्रदेश की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था में हड़कंप मचा दिया है। गढ़ी कैंट, देहरादून स्थित महिंद्रा ग्राउंड में आयोजित होने वाले ‘एग्री मित्र उत्तराखंड 2025″ कृषि मेले के लिए राज्य कृषि विभाग द्वारा जारी किए गए टेंडर का आवंटन 11 जून की रात 9:30 बजे किया जाना था, लेकिन 9 जून को ही वहां कार्य प्रारंभ हो जाना गंभीर सवाल खड़े करता है। मौके पर जाकर बॉबी पंवार और त्रिभुवन चौहान ने इसकी पोल खोल कर सारी कलह खोल दी।
14 जून को शुरू होने वाले इस मेले का उद्घाटन केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान जी को करना था ओर इस पूरे प्रकरण के बाद सरकार को यह आयोजन रद्द करना पड़ा।
यह मेला विवादित कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी के विधानसभा क्षेत्र में आयोजित हो रहा है और सहारनपुर के एक ठेकेदार द्वारा टेंडर खुलने से 3 दिन पहले ही मैदान में काम शुरू कर देना यह दर्शाता है कि टेंडर पहले से फिक्स था।

11 जून की शाम को जब उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के अध्यक्ष बॉबी पंवार एवं उपाध्यक्ष त्रिभुवन चौहान कार्यस्थल पर पहुँचे, तो पाया गया कि भारी मशीनें और श्रमिक मैदान में कार्यरत थे। जैसे ही इसकी भनक ठेकेदार पक्ष को लगी, आनन-फानन में कार्य बंद कर दिया गया। बॉबी पंवार ने कृषि निदेशक से संपर्क किया लेकिन उधर से भी उन्हें गोलमोल जवाब दिया गया।
उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने कहा कि “इस पूरे प्रकरण से यह स्पष्ट होता है कि टेंडर प्रक्रिया पूरी तरह से मैनेज की जा रही है और कहीं न कहीं कृषि मंत्री की संलिप्तता या मौन सहमति इसमें ज़रूर है। सरकार द्वारा स्थानीय लोगों को टेंडर में प्राथमिकता देने की बात को ठेंगा दिखाते हुए यह कार्य बाहरी व्यक्ति को कैसे और क्यों मिला, यह भी बड़ा प्रश्न है।”

बॉबी पंवार और त्रिभुवन चौहान ने थानाध्यक्ष, गढ़ी कैंट को पत्र लिखकर मैदान से सामग्री जब्त करने की मांग की, लेकिन उन्हें यह कहकर लौटा दिया गया कि यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।
त्रिभुवन चौहान के अनुसार यह घोटाला केवल एक टेंडर की कहानी नहीं, बल्कि उत्तराखंड में बढ़ते सिस्टमेटिक भ्रष्टाचार की गूंज है। सरकार द्वारा स्थानीय लोगों को टेंडर में प्राथमिकता देने की बात को ठेंगा दिखाते हुए यह कार्य बाहरी व्यक्ति को कैसे और क्यों मिला, यह भी बड़ा प्रश्न है।
उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा इस पूरे प्रकरण को लेकर माननीय उच्च न्यायालय की शरण में ले जाने की तैयारी में है जिससे दोषियों को बेनकाब किया जाएगा।
वहीं दूसरी तरफ बॉबी पंवार और त्रिभुवन चौहान ने मेला के रद्द होने पर अफसोस जताया और कहा कि इस तरह के मेले किसान भाइयों के लिए वरदान साबित हो सकते हैं लेकिन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका यह मेला सरकार की कलह खोलती दिख रही है।