विश्ववास डाबर के खिलाफ नहीं हो रही कारवाई

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स्वामी भगवान सिंह चेला श्री अमरजीत सिंह निवासी ऋषि आश्रम अगवारलोपो जगरांव, पंजाब मसूरी रोड़, देहरादून पर स्थित सम्पत्ति ऋषी आश्रम, मौजा भण्डारगांव, तहसील व जिला देहरादून का सहस्वामी स्वामी हूं। उक्त सम्पत्ति में मेरे साथ स्वामी जगदीश हरी भी सहस्वामी है। उक्त सम्पत्ति मूल रूप से जगदीश हरी, अवतार हरी, अमरजीत हरि द्वारा द्वारा वर्ष 1967 में क्रय की गयी थी। श्री अवतार हरी जी का देहान्त वर्ष 2001 में हो गया था व ततपश्चात उनका भाग श्री जगदीश हरी एंव अमरजीत हरि को प्राप्त हुआ। ततपश्चात अमरजीत सिंह हरि का देहान्त वर्ष 2009 में हो गया था। उनके देहान्त के उपरान्त उक्त सम्पत्ति में उनका भाग उनकी अंतिम वसीयत के आधार पर मुझे को प्राप्त हुआ। मैं व जगदीश हरी का नाम उक्त सम्पत्ति के बाबत राजस्व अभिलेखों में दर्ज व अंकित है तथा निरन्तर सम्पत्ति के स्वामित्व व अध्यासन में है। उक्त सम्पत्ति पर निरन्तर साधु सन्तों का आना जाना रहता है। निरन्तर सतसंग, संगत की सेवा और लंगर आदि का आयोजन होता है। पिछले कुछ समय से उक्त सम्पत्ति पर असमाजिक तत्वों की बुरी नजर है। जिनमें प्रमुख रूप से राज्य सरकारी में दर्जाधारी मंत्री विश्वास डाबर पुत्र श्री त्रिलोक चन्द डाबर निवासी 16, तिलक रोड़, फॉरेस्ट ऑफिस के समीप, देहरादून, दलबीर जुनेजा पुत्र श्री खेरातीलाल जुनेजा निवासी अलीगढ़, उ०प्र०, तुलसीदास पुत्र श्री जसवन्त सिंह निवासी हनुमानगढ़, चन्दरभान पुत्र श्री दासू राम निवासी वार्डन न0-13, गजसिंह पुर, राजस्थान, देवेन्दर जुनेजा पुत्र श्री गोपाल दास, निवासी गंगानगर, राजस्थान, ललित कुमार पुत्र श्री दसूराम निवासी विंग न0-7, गजसिंह पुर राजस्थान है। जिनके द्वारा जगदीश हरी के साथ मिलकर निरन्तर सम्पत्ति हड़पने के दृष्टिकोण से मुझे सम्पत्ति को खाली करने हेतु धमकाया जा रहा है। उपरोक्त परिस्थितियों के दृष्टिगत प्रार्थी अपना सत्संग व डेरा पंजाब में वापस स्थानान्तरित करने का विचार बना रहे थे जिसके चलते आश्रम की भूमि को रखने के इच्छुक नहीं थे। जिसके चलते कुछ स्थानीय नेताओं एव व्यक्तियों की आश्रम पर गिद्ध दृष्टि पड़ गयी। वह लोग प्रार्थी को यह जमीन उन्हें बेचने के लिये दबाव बनाने लगे। जून, 2024 में उपरोक्त व्यक्तिगण उक्त सम्पत्ति पर आये और मुझ पर पर किसी महिला के साथ छेड़ छाड़ करने के आरोप लगाने लगे और जबरन सम्पत्ति खाली करने की धमकी दी। मेरे द्वारा जब उन्हें कहा गया कि उक्त सम्पत्ति उनकी निजी सम्पत्ति है तथा उनका नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज व अंकित है तथा उक्त सम्पत्ति पर उसके नाम से बिजली व पानी का बिल आदि संयोजित है तो इस पर उक्त विश्वास डाबर द्वारा कहा गया

कि “बिजली व पानी का बिल व दो मिनट में कटवा देंगे और जो भी व्यक्ति जिस पर

मुकदमा है अथवा जमानत पर है उन्हें मैने और मेरे सी०एम० ने यह कानून बनाया हुआ है कि जिस पर कोई मुमदमा है अथवा बेल पर है उसे उत्तराखण्ड में रहने नही दिया जायेगा तथा यदि कोई ऐसा करता है तो उसे तुरन्त पैरव में गोली मारने के आदेश दिये हुए है, इसी प्रकार हमने 180 लोगों को पैर में गोली मारकर इन्काउन्टर किया हुआ है। उनके द्वारा स्पष्ट

किया कि जब तक प्रार्थी पर मुकदमा चल रहा है वह तब तक उत्तराखण्ड में नही आ सकता है, यदि प्रार्थी शराफत से नही गया तो पुलिस उसे घसीटते हुए लेकर जायेगी और

उत्तराखण्ड से बाहर कर देगी।” उक्त घटना का वीडियों सोशल मीडिया में भी अत्यधिक वायरल हुआ। मेरे द्वारा निरन्तर पुलिस के उच्च अधिकारियों व शासन प्रशासन में शिकायत कर उचित कार्यवाही करने तथा मेरी सुरक्षा सुनश्चित करने हेतु गुहार लगायी गयी थी परन्तु उपरोक्त व्यक्तियों द्वज्ञरा अपने प्रभाव का प्रयोग करते हुए मेरे विरूद्ध एक झूठी प्राथमिकी 233/2024, अन्तर्गत धारा 354, 420 404, 506, 509 आई०पी०सी० थाना राजपुर में दर्ज करा दी गयी। तथा सम्पत्ति रिक्त न करने के कारण मुझे कई अन्य मुकदमों में फंसाने की धमकियां दी जाने लगी। ततपश्चात मेरे द्वारा मानननीय उच्च न्यायालय के समक्ष सुरक्षा उपलब्ध कराये जाने हेतु याचिका समर्पित की गयी थी जिसमें दिनांक 13-05-2025 को शासकीय अधिवक्ता द्वारा प्रार्थी को अंतरिम सुरक्षा प्रदान किये जाने की अण्डरटेकिंग दी गयी थी। चूंकि वर्तमान में प्रार्थी के आश्रम में चौमास के उपलक्ष में निरन्तर रक्षाबंधन के पर्व तक भण्डारे का आयोजन किया जाना प्रस्तावित है जिसके चलते प्रार्थी द्वारा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदय के समक्ष दिनांक 29-05-2025 को सुरक्षा प्रदान करने हेतु एक आवेदन दिया गया था। जिस पर उनके द्वारा थाना राजपुर को प्रार्थी को निजी सुरक्षा उपलब्ध कराने हेतु निर्देषित किया गया परन्तु पिछले दो दिनों से थाने द्वारा बिना किसी पूर्व सूचना के प्रार्थी की सुरक्षा वापस ले ली गयी है जिसके चलते प्रार्थी की सुरक्षा का भय बना हुआ है तथा माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों की भी अवहेलना है। अनेकों शिकायत के उपरान्त भी विश्वास डाबर व उसके गुर्गों के विरूद्ध कोई कार्यवाही नही हो रही है।