देहरादून उत्तराखंड पुलिस महकमे के एक डीपीसी संबंधी आदेशों से राज्य के कुछ सीनियर इंस्पेक्टरों की नींद उड गई है। प्रमोशन की राह देख रहे ये सीनियर इंस्पेक्टर अपनी वरिष्ठता लेकर शासन में हलांकि पहले ही गये हुये थे। इस बीच पुलिस मुख्यालय से 21 इंस्पेक्टरों को सीओ बनाने के लिये डीपीसी कराने संबंधी प्रक्रिया पूर्ण कराने का पत्र जारी होता देख सीनियर इंस्पेक्टरों की चिंतायें बढ गई है। जूनियरों का सीनियर बनना तय है ज्बकि कुछ इंस्पेक्टर मामले में सीएम से मुलाकात करने के भी प्रयास में जुट गये है।
उत्तराखंड राज्य का गठन वर्ष 2000 में हुआ है उत्तराखंड पुलिस में नौकरी कर रहे कई दरोगा इंस्पेक्टर यूपी से वापस उत्तराखंड लौट आये । और राज्य पुलिस में सेवायें दे रहे है पुलिस में टॉपर को सिविल पुलिस इसके बाद एलआईयू व अन्य शाखाओ में तैनाती मिलती है। आज पुलिस मुख्यालय से जारी पत्र में 21 इंस्पेक्टरों की प्रमोशन डीपीसी से पूर्व सभी तैयारीयाँ पूरी करने के निर्देश देते हुये पत्र जारी किया गया है। इस पत्र 19 97 19 98 बैच के सिर्फ तीन इंस्पेक्टर है ज्बकि शेष 2002-2003 बैच के अभिसूचना के इंस्पेक्टर है। अभी 1990 बैच के 3 सब इंस्पेक्टर भी अभी बाकी है और प्रमोशन की राह देख रहे है। 97-98 बैच के इंस्पेक्टर शासन व हाईकोर्ट भी वरिष्ठता निर्धारण के लिये पूर्व में गये हुए है।भविष्य में एक तकनीकि दिक्कत इस डीपीसी के बाद ये भी होगी कि एलआईयू के इंस्पेक्टर के सीओ बनने के बाद एलआईयू से ही दरोगाओं के आगे इंस्पेक्टर पद पर प्रमोशन के रास्ते आसान हो जायेंगें ज्बकि सिविल पुलिस के दरोगा पिछड जायेंगें। पुलिस प्रवक्ता व डीआईजी कानून व्यवस्था नीलेश आनंद भरणे का कहना है कि रिक्त पदों के सापेक्ष ही नियमानुसार डीपीसी कराई जाती है। यदि कोई विषय कही लंबित है तो उस पर आने वाले निर्णय के आधार पर फैसला किया जायेगा।