विनय त्यागी मौत मामले में आरोप–प्रत्यारोप तेज, ‘विधवा विलाप’ और राजनीति पर उठे सवाल

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देहरादून: विनय त्यागी मौत मामले में आरोप–प्रत्यारोप तेज, ‘विधवा विलाप’ और राजनीति पर उठे सवाल
देहरादून। कुख्यात अपराधी विनय त्यागी की मौत के बाद अब यह मामला कानून-व्यवस्था से ज्यादा राजनीतिक और बयानबाज़ी का रूप लेता नजर आ रहा है। जमीन, कागज, सोना-चांदी समेत न जाने कितने तरह के दावे और आरोप सामने आ रहे हैं, जिसे जानकार “विधवा विलाप” करार दे रहे हैं।
जानकारों का कहना है कि यह स्थिति कोई नई नहीं है। ज्यादा पुरानी बात नहीं है जब उत्तर प्रदेश में आतंक का पर्याय बने अतीक अहमद और उसके भाई की पुलिस अभिरक्षा में हत्या हुई थी। उस वक्त बड़ी संख्या में लोगों ने चैन की सांस ली थी और कानून-व्यवस्था को लेकर खुलकर संतोष भी जताया था। लेकिन अब दर्जनों मुकदमे झेल रहे अपराधी विनय त्यागी की मौत पर सवाल खड़े किए जा रहे है इसी प्रकार उत्तर प्रदेश का विनोद दुबे हत्याकांड भी सबके सामने है जिसमें पुलिस कारवाई पर संतोष जताया गया था।
इस मामले में यह तथ्य भी सामने है कि पुलिस ने घटना के तुरंत बाद कार्रवाई करते हुए हमले के आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। वहीं, विनय त्यागी के इलाज में भी कोई कोताही नहीं बरती गई और उसे एम्स ऋषिकेश जैसे उच्चस्तरीय संस्थान में भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टरों ने पूरा प्रयास किया।
इसके बावजूद, अब इस मौत को लेकर राजनीति और भावनात्मक बयानबाज़ी शुरू होना कई सवाल खड़े कर रहा है। जानकारों की मानें तो सरकार को घेरने, बदनाम करने और माहौल बनाने की एक अलग राजनीति चल रही है। उनका कहना है कि जब कोई व्यक्ति लंबे समय से अपराध की दुनिया में सक्रिय रहा हो और उसके खिलाफ कई गंभीर मुकदमे दर्ज हों, तो उसकी मौत के बाद अचानक उसे लेकर सहानुभूति और आरोपों की बाढ़ आना भी सोचने पर मजबूर करता है।
कुल मिलाकर, विनय त्यागी मौत मामला अब जांच से ज्यादा राजनीतिक विमर्श का विषय बनता जा रहा है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या हर अपराधी की मौत के बाद राजनीति और ‘विधवा विलाप’ इसी तरह हावी होगा, या फिर तथ्यों और कानून के आधार पर बात की जाएगी। जानकार इसे दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक प्रवृत्ति बता रहे हैं।