बेरोजगार मंच पर पहुंचीं शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा का अपमान, सोशल मीडिया पर जताया आक्रोश
देहरादून।
उत्तराखंड की चर्चित सेवानिवृत्त शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा, जो अपने बेबाक स्वभाव और स्पष्टवादिता के लिए जानी जाती हैं, बेरोजगार युवाओं के आंदोलन में समर्थन देने पहुंचीं, लेकिन वहां उनके साथ हुए अपमानजनक व्यवहार ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से गहरी नाराजगी जताई है और कानूनी कार्रवाई की भी चेतावनी दी है।
मंच से शिक्षकों पर आपत्तिजनक टिप्पणी
उत्तरा पंत बहुगुणा का आरोप है कि आंदोलन के मंच से एक युवती ने शिक्षकों के खिलाफ बेहद आपत्तिजनक और अभद्र भाषा का प्रयोग किया। उन्होंने लिखा कि वह युवती पहले पेपर लीक मुद्दे से भटककर धार्मिक और राजनीतिक बयानबाजी करने लगी और फिर शिक्षकों को “धोने” की बात कहकर मर्यादाओं की सारी सीमाएं लांघ गई।
“मैं चाहती तो दो थप्पड़ मार देती, लेकिन…”
अपनी पोस्ट में उत्तरा बहुगुणा ने लिखा,
“मैं वहीं मौजूद थी। चाहती तो मंच पर जाकर दो थप्पड़ जड़ देती, लेकिन आंदोलन में संघर्ष कर रहे सैकड़ों बच्चों की तपस्या को देखते हुए चुप रह गई।”
उन्होंने कहा कि वह इन युवाओं के सच्चे संघर्ष और भविष्य की चिंता को देखते हुए अपमान का घूंट पीकर शांत रहीं, लेकिन अब मानहानि का केस करने की तैयारी में हैं।
“तू ये लिखना कहां से सीख गई?”
उत्तरा पंत बहुगुणा ने मंच पर कविता पढ़ने वाली युवती की शैक्षणिक योग्यता पर भी सवाल उठाए। उन्होंने लिखा:
“यदि शिक्षक कुछ नहीं सिखाता, तो तू कविता कैसे लिख पाई? तुझे लिखना-पढ़ना किसने सिखाया?”
उन्होंने युवती पर फर्जी डिग्री रखने तक का आरोप लगाया और राज्य सरकार से दोनों की शैक्षणिक जांच कराने की मांग की है।
“सरकार जांच करे, वरना भूख हड़ताल करूंगी”
अपने पोस्ट के अंत में उत्तरा बहुगुणा ने उत्तराखंड सरकार से अपील की है कि वह इस युवती की शैक्षणिक योग्यता की जांच कराए, अन्यथा वह भूख हड़ताल पर बैठेंगी। उन्होंने कहा कि उनके साथ जो मानसिक, सामाजिक और आर्थिक स्तर पर अन्याय हुआ है, उसके लिए अब विधिक रास्ता ही अंतिम विकल्प है।
पृष्ठभूमि: कौन हैं उत्तरा पंत बहुगुणा?
उत्तरा पंत बहुगुणा वही शिक्षिका हैं, जो पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में जनता दरबार में अपनी ट्रांसफर की मांग को लेकर सुर्खियों में आई थीं। उनकी सरकार के साथ सीधी टकराहट ने उन्हें राज्यभर में चर्चित बना दिया था। वह स्पष्टवादी, समाज के मुद्दों पर मुखर बोलने वाली और शिक्षकों के अधिकारों के लिए लड़ने वाली महिला के रूप में जानी जाती हैं।
बेरोजगार आंदोलन में अब केवल सरकारी जांच या भर्ती की मांग ही नहीं, बल्कि विचारों और भाषा के स्तर पर भी टकराव देखने को मिल रहा है। उत्तरा पंत बहुगुणा का अपमान केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि शिक्षकों और शैक्षणिक गरिमा के खिलाफ एक गंभीर संकेत के रूप में देखा जा रहा है। अब देखना होगा कि सरकार इस विवाद पर क्या रुख अपनाती है और क्या मंच से हुई बयानबाजी पर कोई जवाबदेही तय की जाती है या नहीं।