हरेला महापर्व की खास तैयारी पहले दिन 5 लाख पौधे लगाए जाएंगे एक माह का है अभियान

ख़बर शेयर करें

उत्तराखंड में 16 जुलाई से हरेला पर्व का शुभारंभ, एक माह तक चलेगा महाअभियान
थीम – “हरेला का त्योहार मनाओ, धरती माँ का ऋण चुकाओ” और “एक पेड़ – माँ के नाम”

देहरादून। उत्तराखंड राज्य में लोकपर्व हरेला इस वर्ष 16 जुलाई 2025 से पूरे उत्साह और व्यापक जनसहभागिता के साथ मनाया जाएगा। पर्व का आयोजन एक माह तक चलेगा, जिसका उद्देश्य प्रदेश भर में वृहद वृक्षारोपण के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना है।

🌳 पहले दिन होंगे 5 लाख पौधारोपण

पहले दिन पूरे प्रदेश में कुल 5 लाख पौधे रोपे जाएंगे, जिसमें गढ़वाल क्षेत्र में 3 लाख और कुमाऊं क्षेत्र में 2 लाख पौधे लगाए जाएंगे।

🌿 हरेला पर्व की थीम

इस वर्ष पर्व की थीम भावनात्मक और प्रेरक होगी:
“हरेला का त्योहार मनाओ, धरती माँ का ऋण चुकाओ”
“एक पेड़ – माँ के नाम”

📍 आयोजन की रूपरेखा

प्रत्येक जनपद में जिलाधिकारी नोडल अधिकारी होंगे और वह विभागीय अधिकारियों के साथ आयोजन समिति गठित कर कार्यक्रम की योजना तैयार करेंगे।

वन, कृषि, जलागम, शहरी विकास, आवास, ग्राम्य विकास, उद्योग, पंचायती राज आदि विभाग इसमें भाग लेंगे।

🌱 पौधारोपण स्थल

सार्वजनिक स्थान, हरेला वन, नदी किनारे, गाड़-गदेरे, विद्यालय/कॉलेज परिसर, सिटी पार्क, आवासीय परिसर (आरडब्लूए/विकास प्राधिकरण के सहयोग से) आदि स्थलों का चयन किया जाएगा।

🤝 जनसहभागिता से अभियान

जनप्रतिनिधि, विद्यार्थी, स्थानीय निकाय, आरडब्लूए, एनजीओ, वन पंचायत, आर्मी, आईटीबीपी, एनसीसी, होमगार्ड, पीआरडी, एसएचजी इत्यादि संगठनों की भागीदारी से महाअभियान चलेगा।

🎉 शुभारंभ व समापन

हरेला पर्व के शुभारंभ व समापन पर माननीय जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

प्रभागीय वनाधिकारी को निःशुल्क पौध व्यवस्था हेतु नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।

🍎 50% फलदार पौधे, रखरखाव की जिम्मेदारी

50% पौधे फलदार प्रजाति के होंगे।

रखरखाव का जिम्मा स्थानीय ग्रामीणों, लाभार्थियों, महिला/युवा मंगल दलों को सौंपा जाएगा।

📣 प्रचार-प्रसार और जन-जागरूकता

इस अभियान का व्यापक प्रचार सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से किया जाएगा ताकि लोगों में वन संरक्षण और संवर्धन के प्रति जागरूकता बढ़े।

🌿 2 पौधे प्रति परिवार का लक्ष्य

संबंधित विभाग प्रत्येक परिवार को 2 पौधे उपलब्ध कराएंगे, जिसमें प्रथम 3 दिन में 50% पौधों का रोपण कर लिया जाएगा।

⚖️ निर्वाचन आयोग की शर्तें

राज्य निर्वाचन आयोग ने शहरी व वन क्षेत्रों में जनप्रतिनिधियों की भागीदारी की अनुमति दी है।

ग्रामीण/पंचायती क्षेत्रों में जनप्रतिनिधि अतिथि के रूप में भाग नहीं ले सकेंगे, साथ ही निःशुल्क पौध वितरण की अनुमति भी नहीं होगी।

यह पर्व केवल प्रकृति से जुड़ाव का नहीं, बल्कि समाजिक और भावनात्मक जिम्मेदारी निभाने का भी प्रतीक बनेगा। उत्तराखंड सरकार का यह प्रयास आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरा-भरा भविष्य सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ा कदम है।