बिना कॉपी-किताब स्कूल जा रहे बच्चे, स्टेशनरी दुकानों की सीलिंग से बढ़ी अभिभावकों की चिंता
देहरादून।
राजधानी देहरादून में बीते 10 दिनों से स्टेशनरी दुकानों पर प्रशासन की कार्रवाई का असर अब बच्चों की पढ़ाई पर सीधा दिखने लगा है। स्कूलों का नया सत्र शुरू हो चुका है, लेकिन कई बच्चे अब तक बिना कॉपी-किताब के स्कूल जाने को मजबूर हैं। स्कूल प्रबंधन से ‘सेटिंग’ और किताबों की अनियमित बिक्री के आरोपों के तहत प्रशासन ने कई प्रमुख दुकानों को सील कर दिया है।
इस कार्रवाई के बाद बच्चों से लेकर अभिभावकों तक हर कोई परेशान है। कई घरों में इस वजह से तनाव का माहौल है, बच्चे खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं। स्कूल भी बिना किताबों के पढ़ाई पूरी नहीं कर पा रहे।
दुकानदारों पर आरोप, लेकिन सवाल भी बहुत
प्रशासन ने जिन दुकानों पर कार्रवाई की है, उन पर स्कूलों के साथ मिलकर किताबों की जबरन बिक्री, मनमाने दाम और कमीशन के आरोप थे। लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि कार्रवाई जरूरी थी, तो उसे स्कूल खुलने से पहले किया जाना चाहिए था।
“पूरा साल दुकानें खुलती हैं, तो स्कूल खुलते ही जांच क्यों?”
यह सवाल अब आम लोगों की जुबान पर है। कई लोगों ने कहा कि स्कूलों की फीस बढ़ोतरी पर प्रशासन ने सख्त फैसला लेकर सराहनीय कार्य किया है, लेकिन स्टेशनरी दुकानों की सीलिंग ने बच्चों की शिक्षा को बीच मझधार में लाकर खड़ा कर दिया है।
“बार-रेस्टोरेंट 48 घंटे में खुल जाते हैं, लेकिन बच्चों की ज़रूरतें अनदेखी?”
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि राजधानी में अगर बार और रेस्टोरेंट 48 घंटे में दोबारा खुल सकते हैं, तो स्टेशनरी जैसी बुनियादी ज़रूरत की दुकानों को बंद रखना बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ जैसा है।
मुख्यमंत्री से गुहार
लोगों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से अपील की है कि वे इस मुद्दे में तत्काल हस्तक्षेप करें और बच्चों की पढ़ाई को प्रभावित होने से बचाएं।