उत्तराखंड में 46 पुलिस उपाधीक्षकों के तबादले पर विवाद, चुनाव आयोग ने मांगी स्पष्टीकरण

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उत्तराखंड में 46 पुलिस उपाधीक्षकों के तबादले पर विवाद, चुनाव आयोग ने मांगी स्पष्टीकरण


उत्तराखंड में 46 पुलिस उपाधीक्षकों के तबादले को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। राज्य निर्वाचन आयोग ने इसे आदर्श आचरण संहिता का उल्लंघन मानते हुए पुलिस महानिदेशक और अन्य संबंधित अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है।

राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार, नगरीय निकायों के चुनावों के चलते आदर्श आचरण संहिता लागू है, और इसके तहत 25 जनवरी 2025 तक चुनाव से जुड़े अधिकारियों का स्थानांतरण प्रतिबंधित है। आयोग ने स्पष्ट किया कि उसने 28 अधिकारियों के पदोन्नति और स्थानांतरण को ही सशर्त अनुमति दी थी, जबकि समाचार पत्र हिंदुस्तान में 46 अधिकारियों के तबादले की खबर प्रकाशित हुई है।

चुनाव आयोग ने दिए कड़े निर्देश:
राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि किसी भी निर्वाचन में लगे अधिकारी का स्थानांतरण आयोग की पूर्व अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता। आयोग ने 28 अधिकारियों के स्थानांतरण को भी केवल उनके वर्तमान कार्यस्थल पर योगदान की शर्त पर मंजूरी दी थी। इसके बावजूद 46 पुलिस उपाधीक्षकों के स्थानांतरण की खबर चिंता का विषय है।

आयोग ने पुलिस महानिदेशक से इस मामले में तत्काल स्पष्टीकरण मांगा है और निर्देश दिए हैं कि सभी स्थानांतरण प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से रोक दिया जाए।

मुख्य सचिव और पुलिस महानिरीक्षक को भी भेजी प्रतिलिपि:
यह मामला केवल पुलिस महानिदेशक तक ही सीमित नहीं है। आयोग ने मुख्य सचिव और पुलिस महानिरीक्षक (मुख्यालय) को भी पत्र की प्रतिलिपि भेजकर आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा है।

आचार संहिता का उल्लंघन क्यों?
आचार संहिता लागू होने के बाद किसी भी प्रकार का स्थानांतरण या पदस्थापन चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है। इसलिए चुनाव आयोग इसे सख्ती से लागू करता है। आयोग ने पुलिस विभाग को याद दिलाया कि सभी स्थानांतरण और पदोन्नति निर्वाचन की शुचिता को ध्यान में रखते हुए ही की जानी चाहिए