देहरादून राजधानी में हाईकोर्ट के आदेशों पर जारी अतिक्रमण हटाओ अभियान में भी राजनीतिक दबाव ने अपना असर दिखा दिया है। लिहाजा अभियान तो आधा अधूरा चल ही रहा है साथ ही इसमें पारदर्शिता की भी कमी है। प्रेमनगर से हुई समय देने की शुरुआत सर्राफा बाजार और आज कौलागढ तक पंहुच गई।कौलागढ में दो निर्माण तोडने के साथ ही टीम भी वापस चल दी । हलांकि ये टीम दोबारा कौलागढ पंहुची और अतिक्रमण हटाओ अभियान शुरु हुआ। लोग सवाल खडे कर रहे है कि यदि समय मिल रहा है तो सबको मिलना चाहिये था और फिर त्याैहारी सीजन खत्म होने का इंतजार ही कर लेते है।
राजधानी में अतिक्रमण सिर्फ जनता ने ही नही किया इसमें सरकारी सिस्टम की भी पूरी मिलीभगत भी शामिल है। ये बात अलग है कि कार्रवाई के नाम पर सिर्फ दुकानदार,गरीब अराजनैतिक व्यापारी ही नजर आते है। राज्य की भाजपा सरकार ने सत्ता में आते ही सबसे पहले घंटाघर से आईएसबीटी तक विदेशों की तर्ज पर मॉडल रोड का सपना देखा था करोडों रूपये खर्च कर सिर्फ अतिक्रमण हटा टाइलिंग हुई शेष नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा और कुछ निर्माण के छज्जे तोडे गये। सबसे खास बात ये है कि ये प्रोजेक्ट स्वयं नगर विकास मंत्री मदन कौशिक का ड्रीम प्रोजेक्ट था आज इसका कोई नाम लेवा नही है । अब बात अतिक्रमण हटाओ अभियान की आखिर अतिक्रमण हटाओ अभियान का साफ संदेश था लिहाजा इसमें सभी को बराबरी के चश्में से देखा जाना चाहिये था। जिसकी राजनैतिक पकड थी उसे मोहलत मिल गई बाकी रोते बिळखते रह गये। इतना ही अलग अलग इलाकेवार समय दिया जाना कुछ पर जेसीबी का पंजा चलना भी सवालों को जन्म देता है। देखना होगा हाईकोर्ट इस अतिक्रमण हटाओ अभियान के दाखिल होने वाले जवाब के कितना संतुष्ट होता है। ऐसा नही है कि प्रशासनिक अमला व्यवस्था सुधार नही चाहता लेकिन व्यवस्था व राजनैतिक सिस्टम ही कुछ ऐसा है। पार्षद विनय कोहली ने आरोप लगाया है कि कर्जन रोड पर बिल्डरों की दीवार छोड दी गई जो कि नये नवेले बने है,ज्बकि वर्षों पुराने बने मकानों की दीवारें तोडी गई है। नगर आयुक्त व अभियान प्रभारी विनय शंकर पांडेय के मुताबिक अतिक्रमण हटाओ अभियान में पूरी पारदर्शिता बरती जा रही है लिखित शिकायत मिलती है तो कार्रवाई होगी।