राजधानी का बड़ा हिस्सा इन दिनों डेंगू की चपेट में है। नगर निगम मच्छर भगाने के नाम पर हर दिन लाखों रुपये धुएं में उड़ा रहा है। जबकि, एक अध्ययन में साबित हुआ है कि डेंगू का मच्छर फॉगिंग से नहीं मरता है। इसके लिए एंटी लार्वा का छिड़काव ही समय से नही हुआ अब सचिव मुख्यमंत्री विनय शंकर पांडे की फटकार के बाद एंटी लार्वा के छिड़काव में जुट गया है
राष्ट्रीय मलेरिया अनुसंधान संस्थान ने एक अध्ययन में यह निष्कर्ष निकला था कि फॉगिंग से डेंगू मच्छर कुछ देर के लिए अचेत हो जाता है, पूरी तरह से मरता नहीं है। इसका असर सिर्फ सामान्य या मलेरिया के कारक क्यूलेक्स मच्छर पर ही होता है। जर्नल ऑफ वेक्टर बॉर्न डिसीज में प्रकाशित दो प्रमुख शोध पत्रों में एडीज मादा से मुकाबले के लिए नए रसायनों के इस्तेमाल की बात कही गई है। अध्ययन में देखा गया कि फॉगिंग की जगह लेटेक्स, मेनेथॉल और बॉरिक एसिड का उपयोग एडीज पर सीधे असर करता है।
स्वास्थ्य विभाग 500 से अधिक आशा कार्यकर्ता और वाॅलंटियर्स के माध्यम से रोज हजारों घरों में लार्वा नष्ट करने का दावा कर रहा है। नगर निगम हर वार्ड, मोहल्ले में फॉगिंग और दवा छिड़काव का दावा कर रहा है। लेकिन हकीकत में लोगों को न तो आशा कार्यकर्ता दिख रहे हैं, न ही वाॅलंटियर्स। यहां तक कि दून में डेंगू के जो हॉट स्पाट बने हुए हैं, वहां भी नियमित रूप से फॉगिंग और जांच नहीं हो रही है।
नगर निगम के दावों की हकीकत जानने के लिए जब विभिन्न इलाकों में लोगों से बातचीत की गई तो उनका कहना था कि दोनों के दावे हकीकत से परे है। न तो उनके इलाकों में फॉगिंग हो रहा है, न ही स्वास्थ्य विभाग का कोई कर्मचारी इलाकों में आ रहे हैं। कुछ जगहों पर कभी-कभी मोटरसाइकिल पर फॉगिंग करते नजर आते हैं, लेकिन वह भी कुछ देर बाद आधे-अधूरे क्षेत्र में धुंआ उड़ाकर चले जाते हैं।