मुजफ्फरनगर में रामपुर तिराहा कांड के दो अलग-अलग मामलों में छपार के तत्कालीन थानाध्यक्ष राजवीर पर आरोप तय हो गए हैं। प्रकरण की सुनवाई सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में हुई। एक मामले में दिल्ली से फॉरेंसिक एक्सपर्ट के बयान भी हुए।
उत्तराखंड संघर्ष समिति के समन्वयक अधिवक्ता अनुराग वर्मा ने बताया कि सीबीआई बनाम राजवीर की पत्रावली वाले दो मुकदमों में आरोपी बनाए गए राजवीर पर आरोप तय हो गए हैं। आरोपी छपार थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष थे। उनकी दो पत्रावलियों का ट्रायल मजिस्ट्रेट कोर्ट में चल रहा है। मुकदमे में 13 मार्च से साक्ष्य की प्रक्रिया शुरू होगी।
इसके अलावा सरकार बनाम बृज किशोर केस में मंगलवार को दिल्ली से फॉरेंसिक एक्सपर्ट अभिजीत डे अदालत में पेश हुए। कोर्ट में उनके बयान हुए और बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने उनसे जिरह की। उनकी गवाही पूरी हो गई है। अगली सुनवाई के लिए 24 मार्च की तिथि तय की गई।
सुनवाई में आई तेजी
एक अक्तूबर वर्ष 1994 की रात को उत्तराखंड़ की मांग के लिए आंदोलनकारी देहरादून से दिल्ली के लिए निकले थे। रात के समय रामपुर तिराहे पर पुलिस ने उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया। पुलिस ने लाठीचार्ज और फायरिंग की। सात आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी। महिलाओं के साथ अभद्रता की गई थी। मुजफ्फरनगर के लोगों ने आंदोलनकारियों की मदद की थी। प्रकरण की सीबीआई जांच के आदेश 1995 में हुए थे। रामपुर तिराहा कांड की सुनवाई तेजी से शुरू हो गई है।