उत्तराखंड में गंभीर बिजली संकट से फिलहाल राहत मिलने के आसार हैं। प्रदेश को मिल रही 300 मेगावाट(7.2 मिलियन यूनिट) अतिरिक्त बिजली की आपूर्ति को जारी रखने पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है। इसकी मियाद मंगलवार रात को खत्म हो रही थी। हालांकि, खबर लिखे जाने तक केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए थे।
दरअसल, केंद्र सरकार ने अनावंटित (अन एलोकेटेड) कोटे से प्रदेश को 12 जनवरी को 300 मेगावाट बिजली दी थी। यह बिजली मध्य प्रदेश (40 मेगावाट), उत्तर प्रदेश (40 मेगावाट), पश्चिम बंगाल (70 मेगावाट), ओडिशा (50 मेगावाट), बिहार (50 मेगावाट), असम (50 मेगावाट) से मिल रही थी। इसकी मियाद 28 फरवरी की रात को खत्म हो रही थी। इस बीच ऊर्जा मंत्री एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री को पत्र भेजकर बिजली संकट के मद्देनजर इस कोटे को बढ़ाने की मांग की थी।
शासन, यूपीसीएल प्रबंधन के स्तर से भी मंत्रालय के अधिकारियों से लगातार संपर्क किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने इस कोटे को बढ़ाने पर सैद्धांतिक सहमति दे दी है। खबर लिखे जाने तक उत्तराखंड की फाइल पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने हस्ताक्षर नहीं किए थे। उनके हस्ताक्षर के बाद ही यह तय हो पाएगा कि मांगी गई 300 मेगावाट बिजली कब से कब तक राज्य को मिलेगी।
पाएगा कि मांगी गई 300 मेगावाट बिजली कब से कब तक राज्य को मिलेगी।
वर्तमान में यह है बिजली की स्थिति
- राज्य पूल, यूजेवीएनएल से उपलब्ध बिजली: 8-10 मिलियन यूनिट
- केंद्रीय पूल, सभी स्त्रोतों से उपलब्ध बिजली: 18-20 मिलियन यूनिट
- राज्य व केंद्र से उपलब्ध कुल बिजली : 28-31 मिलियन यूनिट
- राज्य में बिजली की औसत मांग : 40 से 41 मिलियन यूनिट
- बिजली की रोजमर्रा की औसत कमी: 7-9 मिलियन यूनिट
- टेंडर के माध्यम से खरीदी जा रही बिजली: 6 से 7 मिलियन यूनिट
- इंडियन एनर्जी एक्सचेंज से रोजाना खरीदी जा रही बिजली : 1-3 मिलियन यूनिट