देहरादून राज्य सरकार की कैबिनेट के फैसले के अनुरूप ही विजिलेंस जिसे सतर्कता अधिष्ठान भी कहते है। अब ये विभाग सूचना के अधिकार के दायरे से बाहर हो गया है। राज्यपाल की मंजूरी के साथ ही कार्मिक विभाग ने इसकी मंजूरी दे दी है।
सरकार सख्त एक्शन की तैयारी में है
जुलाई माह में सीएम ने समीक्षा बैठक करते हुये निर्देश दिये थे कि राज्य में सतर्कता अधिष्ठान को ट्रैप एवं अन्वेषण सिस्टम को मजबूत किया जाए। ट्रैपिंग सिस्टम में लापरवाही करने वाले अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए। वह सचिवालय में सतर्कता विभाग की समीक्षा बैठक में मौजूद अफसरों को सम्बोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि शासन स्तर से महत्वपूर्ण प्रकरणों में गोपनीय जांच की बजाय खुली जांच एवं एफआईआर की कारवाई की जाए। इस दौरान निदेशक सतर्कता को अभिसूचना संकलन एवं संदिग्ध मामलों के स्वतः संज्ञान लेते हुए आरोपित के आवासों या अन्य स्थानों पर अपर मुख्य सचिव सतर्कता के अनुमोदन के पश्चात रेड करने का अधिकार देने के भी निर्देश दिये थे मुख्यमंत्री ने विभागों द्वारा विभिन्न प्रकरणों में लम्बी अवधि के बाद जांच विजिलेंस को देने पर नाराजगी व्यक्त की थी। उन्होंने कहा कि यदि विभाग को प्रकरण विजिलेंस को ट्रांसफर करना है तो, यह कार्यवाही एक साल के अन्दर पूर्ण कर जी जाए। प्रत्येक सरकारी विभाग में विजिलेंस नोडल ऑफिसर एक माह के भीतर अपेक्षित सूचना सतर्कता विभाग को उपलब्ध कराने के लिए उत्तरदायी होंगे। बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रत्येक राज्याधीन कार्यरत कर्मचारियों को हर साल प्राॅपर्टी रिटर्न ऑनलाइन दाखिल किया जाना अनिवार्य किया जाए।