कांग्रेस के कद्दावर नेता व विधायक प्रीतम सिंह के बयान से सियासत गरमा गई है। गुटबाजी के आरोपों से आहत प्रीतम सिंह के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं। रविवार देर शाम ही उन्होंने मुख्यमंत्री धामी से मुलाकात की थी।
स्वयं पर लग रहे गुटबाजी के आरोप से आहत कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यदि विधानसभा में पार्टी गुटबाजी के कारण हारी है तो केंद्रीय नेतृत्व जांच कराए। उन्होंने कहा कि जांच में अगर दोषी पाया जाता हूं तो मुझे विधायक पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। बतौर प्रीतम मेरे पास विकल्प है। चकराता की जनता ने मुझे चुनकर भेजा है। मैं उनके विधायक के रूप में काम कर रहा हूं।
बता दें, सोमवार को कांग्रेस के कद्दावर नेता व विधायक प्रीतम ने यह बयान दिया। इससे पहले वह रविवार देर सीएम पुष्कर सिंह धामी से मिले थे। राजनीतिक और सार्वजनिक जीवन में रहने वाले लोग कभी अपनों से तो कभी विरोधियों से मिलते ही रहते हैं। लेकिन कुछ मुलाकातों की टाइमिंग ऐसी होती है जिससे फिजा में तरह-तरह सवाल तैरने लगते हैं और उनके मायने तलाश किए जाने लगते हैं।
आलाकमान के फैसले से भड़के
रविवार देर शाम मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और कांग्रेस के कद्दावर नेता और चकराता से विधायक प्रीतम सिंह के बीच हुई। मुलाकात से ठीक पहले कांग्रेस आला कमान ने प्रदेश अध्यक्ष, नेता और उपनेता प्रति पक्ष के नामों का एलान किया था। जिस आशंका के चलते कांग्रेस आला कमान एक माह से फैसला लेने में टालमटोल कर रहा था, वह सामने आते ही सच साबित हुई। प्रीतम सिंह का खेमा यशपाल आर्य, भुवन कापड़ी, करण माहरा को तवज्जो देने से ही भड़क उठा। कई लोगों के इस्तीफों ने प्रीतम खेेमे की नाराजगी पर मुहर भी लगा दी। इसके ठीक बाद अप्रत्याशित रूप से प्रीतम सिंह ने मुख्यमंत्री पुष्कर धामी से मुलाकात करके कई तरह की चर्चाओं को जन्म दे दिया। हालांकि इस मुलाकात के बारे में प्रीतम और मुख्यमंत्री दोनों के करीबी लोगों का कहना है कि चर्चा राज्य के विकास और बेहतरी को लेकर हुई। लेकिन मुलाकात जिस हालात में हुई उसको लेकर सियासी पंडितों का मानना है कि पार्टी में अपनी रुसवाई से क्षुब्ध प्रीतम अपने और अपनों के लिए सियासी विकल्प तलाश रहे हैं।