देहरादून उत्तराखंड विधानसभा चुनाव समर में भारतीय जनता पार्टी जहाँ अबकी बार साठ पार के अपने नारे को सफल बनाने में जुटी है। वहीं कई ऐसी सीटों पर भी पार्टी ने बडा दांव खेला है जहाँ तक वो अभी कभी जीत हासिल नही कर सकी है। इसी क्रम में पार्टी ने अल्मोडा की जागेश्वर विधानसभा सीट पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व हरीश रावत कैंप के सबसे खास माने जाने वाले मोहन सिंह मेहरा को पार्टी में शामिल कराने के साथ ही टिकट देकर जागेश्वर सीट पर होने वाली एक तरफा लडाई में दिलचस्प मुकाबला पैदा कर दिया है। इस सीट की चर्चा इसलिये भी जरूरी है क्योंकि इस सीट पर भाजपा कभी जीत नही सकी है वहीं मोहन सिंह मेहरा कभी चुनाव नही हारे है वो स्वयं अथवा उनकी पत्नी सदैव अजेय रहे है। कभी गोविंद सिंह कुंजवाल के खास ऱणनीतिकार रहे मेहरा इस बार बडी तैयारी में है।
लंबी जद्दोजहद के बाद बीजेपी ने जागेश्वर विधानसभा से टिकट फाइनल कर दिया है। यहां टिकट के लिए दावेदारों की फौज थी। बाजी कॉंग्रेस से बगावत कर बीजेपी में शामिल हुए मोहन सिंह मेहरा ने मारी। यह सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि राज्य गठन के बाद से बीजेपी का अभी यहां से खाता नहीं खुला है। इसलिए कांग्रेस से हाल ही में भाजपा में अाए मेहरा को एक साथ कई समीकरण साधने होंगे। यदि वे सीट निकालने में कामयाब हो जाते हैं तो अल्मोड़ा से बीजेपी को बड़ी सौगात मिलने जैसा साबित होगा। अब वे कितना सफल होते हैं यह तो समय बताएगा। बहरहाल बीजेपी ने उन्हें मैदान में उतार दिया है आगे उनकी मेहरा की रणनीति को देखना होगा।
मोहन सिंह मेहरा कुछ समय पहले कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए। वह और उनकी पत्नी पूर्व में जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके है। असल में टिकट जातीय आधार पर दिया गया है। यहां कांग्रेस ने दिग्गज गोविंद सिंह कुंजवाल को टिकट दिया है। बीजेपी राज्य बनने के बाद हुए चुनाव में इस सीट से नही जीत पाई। इसलिए टिकट किसी ठाकुर प्रत्याशी को देना था ताकि वह इस सीट पर चुनाव जीत सके।
2017 में बीजेपी ने सुभाष पांडेय को टिकट दिया था। मोदी लहर में भी वह चुनाव नही जीत पाए थे। बीजेपी और कांग्रेस दोनों प्रत्याशी एक ही जगह से है। वहीं मेहरा का सरल स्वभाव लोगों को अपील करता है। बीजेपी के सर्वे में भी मेहरा अन्य प्रत्याशियों से आगे थे। जिसके बाद काफी मंथन करने पर पार्टी ने मेहरा के नाम पर अंतिम मुहर लगाई। ऐसा कहा जाता है कि मेहरा भी टिकट दिए जाने की शर्त में ही पार्टी में शामिल हुए थे। जानकारों की मानें तो बडी संख्या में पुराने कांग्रेसी उनके मित्र सम्पर्क में बताए जा रहे है।